नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के लिए मनाई जाती है ये प्रथा, जिसके बारे में आपने शायद कभी नहीं सुना होगा


धार्मिक शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है और इस दिन को कई नामो से जाना जाता है. जैसे नरक चतुर्दशी, छोटी दीवाली, नरक चौदस, रूप चौदस, रूप चतुर्दशी और नरक पूजा के नाम से भी जाना जाता है. बता दे कि इस दिन तिल के तेल का काफी महत्व होता है. इसके इलावा इस दिन भगवान् कृष्ण और हनुमान जी की पूजा अर्चना भी की जाती है. बरहलाल आज हम आपको बताएंगे कि आपको नरक चतुर्दशी के दिन क्या क्या करना चाहिए. गौरतलब है कि इस दिन सूर्य उदय होने से पहले उठ कर तेल लगा कर और फिर पानी में अपामार्ग के पत्ते डाल कर उससे नहाना चाहिए.

फिर नहाने के बाद विष्णु मंदिर या कृष्ण जी के मंदिर जाकर दर्शन करने चाहिए. इसके इलावा घर में उत्पन्न हो रही बुरी शक्तियों का विनाश करने के लिए घर का कोई भी बुजुर्ग सदस्य एक दीया जला कर पूरे घर में घुमाएं और फिर इस दीये को घर से कही दूर रख आये. इस दौरान जब घर का बुजुर्ग सदस्य दीये को घर से ले जा रहा हो, तब घर के बाकी लोग इसे न देखे. जी हां ऐसा माना जाता है कि इससे घर की सभी बुराईया भी बाहर चली जाती है. वैसे इस प्रथा को दीपदान भी कहा जाता है और यह प्रथा यमराज के लिए की जाती है. बता दे कि नरक चतुर्दशी के दिन शाम होने के बाद अपने घर या व्यावसायिक स्थान पर तेज का दीया जलाने से भी वहां माँ लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है.

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इसके इलावा इस दिन घर की सफाई भी जरूर करनी चाहिए. इसके साथ ही खुद की सुंदरता बढ़ाने के लिए उबटन लगा कर स्नान करना चाहिए. दरअसल ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सूर्य उदय होने से पहले उठ कर स्नान कर लेता है, उसे नरक नहीं भोगना पड़ता. यहाँ तक कि इस दिन तिल के तेल के चौदह दीपक रात को जलाने की परम्परा भी है. दरअसल ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल के तेल में माँ लक्ष्मी जी और पानी में माँ गंगा का वास होता है. बता दे कि जो व्यक्ति धनतेरस से लेकर दीवाली तक रोज दीपक जलाता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं होती. इसके इलावा ऐसा कहा जाता है कि नरक से बचने के लिए इस दिन तिल के तेल से नहाना भी चाहिए.

गौरतलब है कि जो लोग अकाल मृत्यु से बचना चाहते है और अपने बुरे कर्मो का फल प्राप्त नहीं करना चाहते, वो इस दिन शाम के समय पूर्व दिशा में एक मिटटी का दीपक लेकर उसमे चार बाती डाल कर उसे तिल के तेल से जलाये. इसके बाद यह दीपक घर के मुख्य द्वार पर ही रखे और यह मंत्र भी बोले. दत्तो दीप: चतुर्दश्यो नरक प्रीतये मया. चतुर्वर्ति समायुक्त: सर्व पापा न्विमुक्तये.. . इसके इलावा इस दिन नए पीले रंग के कपडे पहने. वैसे भारत में कई जगहों पर ऐसा माना जाता है कि इस दिन कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन ही हनुमान जी ने माँ अंजना के गर्भ से जन्म लिया था और इस तिथि का उल्लेख बाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हनुमान जयंती चैत्र महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है.

मगर फिर भी आप नरक चतुर्दशी के दिन यानि कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन हनुमान चालीसा, हनुमानअष्टक, सुंदरकांड आदि का पाठ जरूर करे. ये आपके लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा.

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