बन जायेंगे आप भी मालामाल यदि इस काल में करते है गोवर्धन पुजा, यहाँ पढ़े


पूरे देश भर में दिवाली का त्योहार बड़ी ही धूम धाम और ढेर सारी खुशियों के साथ मनाया गया। आपको बताना चाहेंगे की दिवाली की खुशियाँ मनाने के ठीक अगले ही दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है। देश के विभिन्न भागों में गोवर्धन उत्सव को ‘अन्नकूट पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है। सामान्य भाषा में कहा जाए तो दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है।

बताना चाहेंगे की इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र भगवान की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी, कहा जाता है की इस दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाकर उसकी पूजा रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल आदि से दीपक जलाने के बाद की जाती है। चूंकि यह पर्व भगवान श्रीक़ृष्ण से जुड़ा है तो इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व होता है।

बता दे की इस दिन गायों को स्नान कराकर उन्हें सजाकर उन्हे मिष्ठान आदि खिलाकर उनकी आरती कर प्रदक्षिणा करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है। गोबर्धन तैयार करने के बाद उसे फूलों से सजाया जाता है और शाम के समय इसकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन मथुरा में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दे की यदि कोई व्यक्ति गोवर्धन पूजा के दिन दुखी रहता है तो वह पूरे साल भर दुखी रहता है।

आपको बता दे की ज़्यादातर लोग अपने घरों में ही प्रतीकात्मक तौर पर गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा करते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं।इस दिन सभी व्यापारी अपनी दुकानों और बहीखातों की पूजा करते हैं तथा जिन लोगों का लोहे से जुड़ा काम होता है वो विशेषकर इस दिन पूजा करते हैं और आज के दिन वो अन्य कोई भी काम नहीं करते है। इस दिन जो शुद्ध भाव से भगवान के चरणों में सादर समर्पित, संतुष्ट, प्रसन्न रहता है वह पूरे साल भर सुखी और समृद्ध रहता है।

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