आईना कहीं ब‌िगाड़ न दे आपकी क‌िस्मत, रखें इन बातों का ध्यान


आईना व्यक्ति के जीवन का एक अहम ह‌िस्सा है। लोग आईने में खुद को निहारते हैं अौर खुद को संवारते हैं। आईने का वास्तु की दृष्टि में भी महत्व है। वास्तु के अनुसार आईना सकारात्मक और नकारात्मक उर्जा में अंतर किए बिना जैसी ऊर्जा आती है, उसे उसी प्रकार वापिस कर देता है। वास्तु व‌िज्ञान का कहना है कि आईना चेहरा संवारने की जगह कई बार क‌िस्मत भी ब‌िगाड़ता है क्योंकि आईने से संबंधित गलतियां होने पर स्वास्‍थ्‍य, धन और उन्नत‌ि में बाधा उत्पन्न होती हैं इसलिए इन बातों का ध्यान रखें।

बेडरुम में आईना नहीं रखना चाहिए यदि रखना भी हो तो ऐसे स्थान पर रखें जहां पर उसमें सुबह उठने पर आपकी शक्ल न दिखाई दें अर्थात आईने में बिस्तर का दिखाई देना शुभ नहीं होता।

घर में टूटा हुआ आईना नहीं रखना चाहिए। इस प्रकार के दर्पण से जो रोशनी वापिस आती है, वह घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है। जिससे पारिवारिक सदस्यों के मध्य दूरियां आती हैं। इस प्रकार के आईने में चेहरा न देखें क्योंकि ऐसा करने से स्वास्‍थ्य प्रभावित होता है।

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घर में आईने को उत्तर, पूर्व और उत्तर पूर्व द‌िशा में रखना शुभ माना जाता है। जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

वास्तु व‌िज्ञान के अनुसार गोल आकार का आईना शुभ नहीं होता परंतु आयताकार और वर्गाकार दर्पण का प्रयोग करना अच्छा होता है।

घर में दक्ष‌‌िण या पश्‍च‌िम द‌िशा में आईने को न रखें क्योंकि इन दिशाअों में दर्पण रखने से कष्टों का आगमन होता है।

आईने पर धूल-मिट्टी नहीं जमनी चाहिए। घर के बेसमेंट या दक्ष‌िण पश्च‌िम (नैऋत्य कोण) दिशा में स्नानघर अौर शौचालय बना है तो वर्गाकार आईना पूर्वी दीवार पर लगाने से वास्तु दोष दूर होता है।

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