शयनकक्ष के वास्तुदोष को कैसे दूर करें


वास्तुशास्त्र में कई नियम बताए गए हैं, इन वास्तु के नियमों का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व होता है. कई बार व्यक्ति इन वास्तु नियमों का पालन नही करते है तो उन्हें अपने जीवन में बहुत दुःख और हर काम में असफलता मिलती है. जो कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है उसके जीवन में सुख और शांति बनी रहती है, साथ ही प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है. यदि वास्तु के नियमों का पालन नही किया जाता है तो घर में कलह-क्लेश तथा बार-बार परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है.

जब आपके घर का वास्तु ठीक नही होता है तो परिवार के सदस्यों के साथ अप्रिय घटना होती रहती है. यदि घर का वास्तु, वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार होता है तो ऐसी घटना होने की संभवना नही के बराबर हो जाती है.

आइये जानते है वास्तु के नियमों के बारे में जिससे आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या नही आए—

1. वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष में पानी और मछली के चित्र को स्थाई रूप से नही रखना चाहिए.

2. शयनकक्ष में आपके सोते समय सिर के सामने किसी भी प्रकार का बड़ा दर्पण नहीं होना चाहिए. यदि जगह की कमी हो तो शीशे को ढककर रखना चाहिए.

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3. वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष के बाहर किसी भी प्रकार की सीढ़ी का प्रवेश नहीं होना चाहिए, यदि किसी वजह से सीढ़ी आ रही है तो सीढ़ी और शयनकक्ष के मध्य में विभाजन होना चाहिए, नहीं तो आपको कोर्ट-कचहरी के चक्करों में ही उलझना पढ़ सकता है.

4. सोते समय तकिए के नीचे घड़ी को रखकर सोएं.

5. अपने घर के मुख्य द्वार के सामने कभी भी बड़ा और ऊंचा पेड़ नहीं होना चाहिए.

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6. शयनकक्ष में रखे हुए पलंग पर चादर की किसी भी प्रकार से उलझे हुए डिज़ाइन नही बिछाना चाहिए.

7. घर में कभी भी टुटा हुआ शीशा नही रखना चाहिए. जिस शीशे में हम हमारा चेहरा देखते वह शीशा कभी भी धुंधला नहीं होना चाहिए. शीशा कभी भी टूटा नही होना चाहिए.

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