इन 10 परंपराओं को ढकोसला मत कहें, वैज्ञानिक कारण जान दंग रह जायेंगे आप।


भारत विभिन्न परंपराओं का देश है। यहां अनगिनत परंपरा है, इनमे से कुछ परंपरा ऐसी भी है जिसे देख तमाम लोग ताजुब्ब मानते हैं तो कई इस पर हँसते भी है। यहां तक तो कई लोग उन्हें ढकोसला तक कह देते हैं। लेकिन, इन परंपराओं को ढकोसला कहने वालों की ये सोच पूरी खबर पढ़ने के बाद शायद बदल जाएगी। क्योंकि हम बताने जा रहे हैं हिंदू परंपराओं के पीछे छुपे वैज्ञानिक कारण।

चूड़ी पहनना :-भारतीय महिलाएं हाथों में चूड़ियां पहनती है। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है -हाथों में चूड़ियां पहनने से त्वचा और चूड़ी के बीच जब घर्षण होता है, तो उसमें एक प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है, यह ऊर्जा शरीर के रक्त संचार को नियंत्रित करती है। इसके साथ ही ढेर  सारी चूड़ियां होने की वजह से वो ऊर्जा बाहर निकलने के बजाये शरीर के अंदर चली जाती है।

सिंदूर लगाना :-शादीशुदा महिलाएं सिंदूर लगाती है। इस पीछे वैज्ञानिक कारण है -सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है। यह मिश्रण शरीर के शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। चूंकि इससे यौन उतेजना बढ़ती है इसलिए विधवा औरतों के लिए सिंदूर लगाना वर्जित है। इससे स्ट्रेस कम होता है।

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तुलसी की पूजा :-तुलसी के पेड़ की पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। सुख-शांति बनी रहती है। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है -तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।

मूर्ति पूजन :-हिंदू धर्म में मूर्ति का पूजन किया जाता है। वैज्ञानिक तर्क है -अगर आप पूजा करते वक्त कुछ भी सामने नहीं रखेंगे तो आपका मन अलग-अलग वस्तुओं पर भटकेगा। यदि सामने एक मूर्ति होगी तो आपका मन स्थिर रहेगा और आप एकाग्रता से पूजन कर सकेंगे।

चरण स्पर्श करना :-हिंदू मान्यता के अनुसार, जब आप किसी बड़े से मिले तो उनके चरण स्पर्श करें। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है -मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से निकलते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉस्मिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं।

व्रत रखना :-कोई भी पूजा-पाठ या त्योहार हो तो लोग व्रत रखते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है -आयुर्वेद के अनुसार, व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं।

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नदियों में फेके जाते हैं सिक्के :-नदियों में सिक्कों को फेंके जाने के पीछे एक पुरानी हिंदू परंपरा रही है। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है -हमारे पूर्वज पुराने समय में तांबे के सिक्के नदी में फेंका करते थे। दरअसल, तांबा एक मौलिक धातु है जो पानी में मिलकर उसे मानव शरीर के लिए फायदेमंद बनाता है। ये नदि को जल को दूषित होने से बचाते थे।

बिछिया :-शादीशुदा महिलायें बिछिया पहनती है। इसके पीछे तर्क है -पैर की दूसरी ऊँगली में बिछिया पहना जाता है, उसकी नस का कनेक्शन बच्चेदानी से होता है। बिछिया पहनने से बच्चेदानी तक पहुंचने वाला रक्त का प्रवाह सही बना रहता है। इससे बच्चेदानी स्वस्थ बनी रहती है और मासिक धर्म नियमित रहता है।

माथे पर तिलक :-हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाते हैं। इसके पीछे तर्क है -आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है।

सिर पर छोटी :-हिंदू धर्म में ऋषि-मुनि सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है -जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती है। इससे दिमाग स्थिर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता है।

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