14 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन भूल से भी शिवलिंग पर न चढ़ाये ये 5 चीजें, भगवान् शिव हो सकते है नाराज


फागुन का ये पवित्र महिना चमत्कारी महिना माना जाता है कहा जाता है कि इस महिने में भागवान शिव बहुत खुश रहते है. जिस वजह शिव जी की पूजा करने से रुके हुए काम बन जाते है. वहीं जीन लोगों की शादियां नहीं हो पा रही है, नौकरी नहीं मिल पा रही है उनके लिए ये बहुत लाभदायक महिना है. इस महिने में विषेय तौर पर गणेश जी , लक्ष्मी जी, पार्वती जी और शिव जी की पूजा की जाती है. आज हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे है. जिसे भूल कर भी शिवलिंग पर ना चढ़ाएं.


बता दें की इस बार 14 फरवरी को महाशिवरात्रि है. इस दिन शास्त्रों के अनुसार शिव और पर्वती की शादि हुई थी. इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव  की पूजा करते है और शिव जी के लिए व्रत भी रखते है. कहा जाता है कि किसी तरह की गलती करने पर  कोई व्यक्ति सचे मन से माफी मांगता है तो उसको शिव जी माफ कर देते है.

कैसे करें शिवलिंग जी की पूजा
शिवलिंग का पानी से, दूध से, दही से या शहेद से अभिषेक करना चाहिए. ध्यान रहे कि शिव जी को जंगली फल ही चढाएं जैसे बेर, केला, अमरूद आदि और पान के पत्ते, धातुरे का फल, आँख का पत्ता चाढ़ाए ऐसा करने से सारी मनोकामना पूरी होगी. धूप, दीप, अनाज आदि से आपको शिव जी की पूजा करनी चाहिए. देशी घी का दिपक जरूर जलाएं और ऊ नम: शिवाय का जाप 108 बार करें

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शिवलिंग पर ना चढ़ाए ये 5 वस्तुएं
सिंदूर – शिवलिंग पर सिंदूर कभी नहीं चढाना चाहिए क्योंकि ये स्त्री के सिंगार में आता है.

हल्दी – शिवलिंग पर हल्दी ना चढ़ाएं क्यों कि ये स्त्री की संदरता बड़ाने के लिए उपयोग होता है. हल्दी को शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाना चाहिए. हल्दी को शिव जी का रूप माना गया है.

नरियल का पानी–  नरियल कोदेवताओं पर प्रसाद के तरह चढ़ाते है इसलिए नरियल के पानी को कभी शिवलिंग पर ना चढ़ाएं और शिवलिंग पर चढ़ा हुआ दूध, पानी या पंचा अम्रित जल नहीं पीना चाहिए.

तुलसी– तुलसी असुर जलंधर कि पत्नी थी और वो बहुत पतिवर्ता स्त्री मानी जाती थी जिसके चलते एक दिन विष्णु भगवान ने असुर जलंधर का रूप धारण कर तुलसी का पतिवर्ता धरम तोड़ा. जिस वजह से शिव जी ने जलंधर को मार दिया. इस घटना के बाद तुलसी मां ने गुस्से में आकर  शिव जी को अलोकिक और देवय गुन वाले पत्तो से वनक्षित कर दिया.

केतकी के फूल – शिव जी को केतिक का फूल नहीं चढाना चाहिए भगवान शिव ने भ्रमा के छूठ में साथ देने पर केतकी के फूल को शारब दिया था.

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