वास्तु के ये दस उपाय व्यापार को बढ़ाने में काम आयेंगे


किसी भी देश के विकास में उस देश के उधोग धंधों और व्यापार का बहुत बड़ा हाथ होता है । उधोग और व्यवसाय के द्वारा ही देश और समाज की उन्नति के रास्ते खुलते हैं । इस लेख में हम व्यवसाय और व्यापार के स्थान की संरचना के बारे में कुछ वास्तु सिद्धान्तों के बारे में बतायेंगे । यदि औधोगिक इकाइयों व संरचनाओं को वास्तु सिद्धान्तों के अनुरूप निर्माण और विकसित किया जाये तो आशातीत लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं ।

वास्तु उपाय नम्बर एक :-
औधोगिक इकाई और व्यापार के लिये भूखण्ड हमेशा आयताकार अथवा वर्गाकार होना चाहिये । तीन पाँच या अधिक कोनों वाले भुखण्ड अच्छे नही माने जाते हैं । इसका नैऋत्य कोण सबसे ऊँचा होना चाहिये और ईशान्य कोण सबसे नीचा ।

वास्तु उपाय नम्बर दो :-
भूखण्ड के चारों तरफ जो चार दीवार बनायी जाती हैं उसमें दक्षिण व पश्चिम दिशा की दीवार, उत्तर व पूरब दिशा की दीवार से अधिक मोटी और ऊँची होनी चाहिये ।

वास्तु उपाय नम्बर तीन :-
औधोगिक इकाई का मुख्य प्रवेश द्वार पूरब, उत्तर अथवा इशान्य दिशा में रखना सबसे उत्तम माना जाता है । पश्चिम दिशा का सामान्य एवं दक्षिण दिशा का प्रवेश द्वार सबसे निकृष्ट माना जाता है ।

वास्तु उपाय नम्बर चार :-
यदि औधोगिक इकाई अथवा व्यापार के स्थान पर वाणिज्यिक वाहन गेट के अन्दर आते हैं तो उनके आवागमन के लिये दो स्थानों पर गेट होने चाहियें । प्रवेश के लिये उत्तर दिशा में और निकास के लिये पश्चिम दिशा में एक एक द्वार होना चाहिये ।

वास्तु उपाय नम्बर पाँच :-
औधोगिक इकाई में प्रवेश के लिये मुख्य द्वार नैऋत्य कोण में रखना हमेशा ही हानिकारक होता है ।

वास्तु उपाय नम्बर छः :-
किसी भी औधोगिक इकाई और व्यापारिक प्रतिष्ठान में प्रशासनिक कार्यालय सबसे महत्तवपूर्ण स्थान होता है । प्रशासनिक इकाई को का कार्यालय पूरब अथवा उत्तर दिशा में होना सबसे अच्छा माना जाता है । यदि इन दिशाओं में बनाना सम्भव ना हो तो फिर इसको नैऋत्य कोण में बनाया जा सकता है ।

वास्तु उपाय नम्बर सात :-
भारी मशीनों को हमेशा दक्षिण दिशा में स्थापित करना चाहिये जबकि हल्कि मशीनों के लिये उत्तरी दिशा में स्थापना करना सर्वथा उचित रहता है । वजन तौलने का छोटा अथवा बड़ा काँटा या मशीन हमेशा ही पश्चिमी अथवा दक्षिणी दीवार के पास स्थापित करना चाहिये ।

वास्तु उपाय नम्बर आठ :-
जल की वयवस्था ईशान्य कोण में की जानी चाहिये जबकि ट्रांसफार्मर, जनरेटर आदि बिजली के उपकरणों की स्थापना आग्नेय कोण में करनी चाहिये ।

वास्तु उपाय नम्बर नौ :-
तैयार माल के भण्डारण के लिये गोदाम आदि का निर्माण हमेशा वायव्य कोण में किया जाना चाहिये । जबकि कच्चे माल को भण्डारण करने के लिये गोदाम का निर्माण पश्चिमी दिशा में रखना चाहिये ।

वास्तु उपाय नम्बर दस :-
व्यापारिक प्रतिष्ठान की सुरक्षा के लिये सिक्यूरिटी ऑफिस प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार के दायीं तरफ होना चाहिये ।
यदि उपरोक्त वास्तु नियमों का पालन किया जाये तो निश्चित रूप से इकाई तरक्की के रास्ते पर चल पड़ती है ।

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