पैर के अंगूठे में काला धागा बांधने से जड़ से ख़त्म हो जाएगी ये बीमारी, महिलाओं के लिए है बेहद असरदार


आज की दुनिया काफी तेजी से आगे बढ़ती जा रही है और इस तेजी से बढ़ती दुनिया में हर किसी ने माना है की दवाओं के प्रयोग से डॉक्टर कम से कम समय में मरीज को हृष्ट-पुष्ट कर देते हैं। बीमारियों को इस गति से काटने की उनकी क्षमता ने इलाज के पुराने एवं प्राचीन तरीकों को एक प्रकार से खत्म कर दिया है। लेकिन आपको बता दें कि अभी भी कुछ बिमारी ऐसे भी हैं जिनका इलाज आयुर्वेद में ही अच्‍छे से होता है। लेकिन अब इनकी मात्रा कम प्रतिशत में हो गई है या फिर यूं कह लें तो आजकल प्राचीन चिकित्सा प्रणाली की ओर अपना रुझान दर्शाते हैं। आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।


उन्‍ही में से एक समस्‍या है नाभि खिसकना या इसे कहीं कहीं धरण जाना भी कहा जाता है जिसका आयुर्वेद और प्राकृतिक उपचार पद्धति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वहीं हम सब ये तो जानते ही हैं कि नाभि को मानव शरीर का केंद्र माना जाता है। नाभि स्थान से शरीर की 72 हजार नाड़ियों जुड़ी होती है। यदि नाभि अपने स्थान से खिसक जाती है। तो शरीर में कई प्रकार की समस्या पैदा हो सकती है। ये समस्या किसी भी प्रकार दवा लेने से ठीक नहीं होती। इसका इलाज नाभि को पुनः अपने स्थान पर लाने से ही होता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसे नहीं माना जाता है। परंतु आज भी इस पद्धति से हजारों लोग ठीक होकर लाभ प्राप्त कर रहे है।

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लेकिन आज हम आपको एक ऐसे तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे अपनाकर आप इस समस्‍या को सही कर सकते हैं। दरअसल इसके लिए आपको अंगूठे में काला धागा बांधकर रखना चाहिए इससे नाभि बार बार नहीं खिसकती है। इस उपाय से आपकी नाभि भविष्य में नही खिसकेगी। वहीं आपको ये बता दें कि जिस हाथ की छोटी अंगुली की लंबाई कम हो उस हाथ सीधा करें। हथेली ऊपर की तरफ हो। अब इस हाथ को दुसरे हाथ से कोहनी के जोड़ के पास से पकड़ें। अब पहले वाले हाथ की मुट्ठी कस कर बंद करें।

इस मुट्ठी से झटके से अपने इसी तरफ वाले कंधे पर मारने की कोशिश करें। कोहनी थोड़ी ऊंची रखें। ऐसा दस बार करें। अब अंगुलियों की लंबाई फिर से चेक करें। लंबाई का फर्क मिट गया होगा। यानि नाभि अपने स्थान पर आ गई है। यही ऐसा नहीं हुआ तो एक बार फिर से यही क्रिया दोहराएं। सुबह खाली पेट सीधे पीठ के बल चटाई या योगा मेट पर लेट जाएँ। दोनों पैर पास में हो और सीधे हो। हाथ सीधे हो और कलाई जमीन की तरफ हो।

अब धीरे धीरे दोनों पैर एक साथ ऊपर उठायें। इन्हें लगभग 45° तक ऊँचे करें। फिर धीरे धीरे नीचे ले आएं। इस तरह तीन बार करें। नाभि सही स्थान पर आ जाएगी। यह उत्तानपादासन कहलाता है। सुबह खाली पेट योगा मेट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएँ। अब एक पैर को मोड़ें और दोनों हाथों से पैर को पकड़ लें। दूसरा पैर सीधा ही रखें। जिस प्रकार शिशु अपने पैर को पकड़ कर पैर का अंगूठा मुँह में डाल लेते है उसी प्रकार आप पैर को पकड़ कर अंगूठे को धीरे धीरे अपनी नाक की तरफ बढ़ाते हुए नाक से अड़ाने की कोशिश करें। सर को थोड़ा ऊपर उठा लें।

अब धीरे धीरे पैर सीधा कर लें। यह एक योगासन है जिसे पादांगुष्ठनासास्पर्शासन कहते है। इसी प्रकार दुसरे पैर से यही क्रिया करें। इस प्रकार दोनों पैरों से तीन तीन बार करें। फिर एक बार दोनों पैर एक साथ मोड़ कर यह क्रिया करें। नाभि अपनी सही जगह आ जाएगी।

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